India-China Ties: Jaishankar Meets Chinese FM Wang Yi, Puts Emphasis On Border De-Escalation
(भारत-चीन संबंध: जयशंकर की वांग यी से मुलाकात, सीमा तनाव कम करने पर दिया जोर)
भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए सीमा पर शांति ज़रूरी: डॉ. एस. जयशंकर
सोमवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए बेहद जरूरी है।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत-चीन संबंधों में इस समय एक कठिन दौर चल रहा है और दोनों पक्षों को ईमानदारी और रचनात्मकता के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा
चीनी विदेश मंत्री वांग यी सोमवार को दो दिवसीय भारत यात्रा पर पहुंचे। अपनी यात्रा के पहले दिन उन्होंने डॉ. एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
जयशंकर ने वांग यी का भारत में स्वागत करते हुए कहा,
“यह अवसर हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने का मौका देता है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्टूबर 2024 में कज़ान में हमारे नेताओं की मुलाकात के बाद यह किसी चीनी मंत्री की पहली भारत यात्रा है। साथ ही, यह वैश्विक स्थिति और आपसी हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का भी उपयुक्त समय है।”
NSA अजित डोभाल और चीन के प्रतिनिधि के बीच अहम बैठक
विदेश मंत्री जयशंकर ने यह भी जानकारी दी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल, मंगलवार को चीन के विशेष प्रतिनिधि के साथ सीमा विवाद को लेकर बातचीत करेंगे।
उन्होंने कहा,
“आप कल हमारे विशेष प्रतिनिधि एनएसए अजित डोभाल के साथ सीमा मुद्दों पर बातचीत करेंगे। यह बातचीत बहुत अहम है क्योंकि हमारे रिश्तों में किसी भी सकारात्मक प्रगति की बुनियाद यही है कि हम मिलकर सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखें।”

नई दिल्ली/अस्ताना:
भारत और चीन के बीच संबंधों को लेकर एक अहम कूटनीतिक कदम उठाया गया है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस बातचीत में जयशंकर ने स्पष्ट रूप से भारत की प्राथमिकता बताई — सीमा पर तनाव का तत्काल समाधान और शांति की बहाली।
सीमा विवाद प्रमुख मुद्दा
बैठक के दौरान जयशंकर ने दो टूक कहा कि भारत-चीन संबंधों की सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति और स्थिरता ज़रूरी है। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि मौजूदा विवादों का हल कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से खोजा जाना चाहिए।
व्यापार और सहयोग पर भी चर्चा
हालांकि सीमा मुद्दा मुख्य रहा, दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। SCO जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं में सहयोग, व्यापार संबंधों और कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भी विचार-विमर्श हुआ।
पृष्ठभूमि में गलवान की छाया
गौरतलब है कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास बनी हुई है। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बावजूद एलएसी पर स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हुई है।
आगे की राह
भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि सीमाओं पर शांति बहाल करना ही द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की पहली शर्त है। आने वाले महीनों में दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्ताओं की संभावना जताई जा रही है।
वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा
हालांकि सीमा विवाद बैठक का केंद्र बिंदु रहा, फिर भी दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO), ब्रिक्स (BRICS) और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को लेकर भी बातचीत की। क्षेत्रीय स्थिरता, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और रणनीतिक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ।
संबंधों की बहाली की चुनौती
कोविड-19 महामारी के बाद और विशेषकर जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत-चीन संबंधों में गहरा तनाव बना हुआ है। कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ताएं हुईं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है। भारत बार-बार यह स्पष्ट करता आया है कि जब तक सीमा पर अमन नहीं लौटता, तब तक बाकी सभी क्षेत्रों में संबंध सामान्य नहीं हो सकते।