“उपराष्ट्रपति उम्मीदवार”, “नक्सलवाद”, “भाजपा आरोप”
भाजपा ने विपक्ष की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पर नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाया। पढ़ें पूरी खबर हिंदी में
नई दिल्ली | 19 अगस्त 2025
देश में उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन को लेकर सियासी गर्मी तेज हो गई है। विपक्ष द्वारा घोषित उम्मीदवार पर अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बड़ा हमला बोला है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि यह वही चेहरा है जिसने “नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया था”।
भाजपा का आरोप: सुरक्षा नीति पर रही हैं ‘लचर’
भाजपा के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, विपक्ष की ओर से घोषित उम्मीदवार, जो पूर्व में एक राज्य की मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रह चुकी हैं, ने अपने कार्यकाल में नक्सल प्रभावित इलाकों में सख्त कदम उठाने की बजाय नरम रुख अपनाया था।
🗣️ “उनके नेतृत्व में राज्य सरकार ने नक्सली संगठनों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बाधा डाली। इससे कई जिलों में नक्सल गतिविधियाँ फिर से तेज़ हुईं।” – भाजपा सूत्र
भाजपा ने उठाए गंभीर सवाल – “क्या देश की आंतरिक सुरक्षा से समझौता किया जाएगा?”
भाजपा के नेताओं और रणनीतिकारों का मानना है कि इस प्रकार की नियुक्ति से यह संकेत जाएगा कि राष्ट्र की सुरक्षा की जगह राजनीति को प्राथमिकता दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष की यह रणनीति सिर्फ वोट बैंक को ध्यान में रखकर बनाई गई है, न कि राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर।
🔊 “क्या हम ऐसे व्यक्ति को देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद सौंप सकते हैं, जिसने अपने राज्य में नक्सलियों को खुली छूट दी थी?” – भाजपा प्रवक्ता (गोपनीय रूप से
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा सिर्फ नक्सलवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या संवैधानिक पदों पर योग्यता की बजाय केवल जाति, धर्म या क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर उम्मीदवार तय किए जा रहे हैं?
🧾 “सिर्फ महिला, दलित या आदिवासी कार्ड खेलने से कोई नेता सक्षम नहीं हो जाता। उस व्यक्ति की प्रशासनिक साख और निर्णय लेने की क्षमता भी देखनी चाहिए,” – एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक
कौन हैं विपक्ष की उम्मीदवार?
हालांकि विपक्ष ने उन्हें “लोकतंत्र की रक्षक”, “आदिवासी हितों की आवाज़” और “संविधान की सच्ची प्रहरी” बताकर पेश किया है, लेकिन भाजपा का दावा है कि उनका ट्रैक रिकॉर्ड देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा साबित हुआ है।
विपक्ष की यह रणनीति ऐसे समय में आई है जब लोकसभा चुनाव 2026 की तैयारियाँ जोरों पर हैं। जानकारों का मानना है कि इस तरह के आरोप और प्रत्यारोप चुनावी एजेंडे को प्रभावित कर सकते हैं।
नक्सलवाद और सियासत: एक नजर
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भारत के 7 से अधिक राज्य अब भी किसी न किसी रूप में नक्सलवाद से प्रभावित हैं।
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छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्य सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं।
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पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों की रणनीतियों से नक्सलवाद में गिरावट आई है, लेकिन स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक लचीलापन अब भी चुनौती बना हुआ है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने भाजपा के आरोपों को “राजनीतिक स्टंट” करार देते हुए कहा कि: “जब भी भाजपा को कोई मजबूत महिला नेतृत्व दिखता है, वे उसे बदनाम करने में लग जाते हैं। यह महिलाओं के प्रति उनकी असली सोच को दर्शाता है।”
निष्कर्ष
उपराष्ट्रपति पद की यह लड़ाई अब सिर्फ एक संवैधानिक पद के लिए नहीं, बल्कि नैरेटिव की लड़ाई बनती जा रही है। भाजपा जहां इसे राष्ट्र सुरक्षा बनाम नरमी की नीति का मुद्दा बना रही है, वहीं विपक्ष समावेशिता और सामाजिक न्याय की बात कर रहा है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह आरोप कितने असरदार साबित होते हैं और क्या विपक्ष अपनी उम्मीदवार को बचा पाता है।